नकाब

सही पहचाना जी आपने,
दो नकाब रखता हूँ।
एक आप जैसे आम लोगो के लिए,
दूसरा कुछ चुनिन्दों के लिए।
पर चेहरा महफूज़ रखा है,
न आपको दिखाया, न किसी खास को।

नकाब तो आपने भी बुने ही होंगे?
अरे! शर्माईये मत, 
बता भी दीजिये,
क्या नाम रखा है हमारे नकाब का?
दोस्ती? प्यार? या खुदगर्ज़ी?

चलिए ये सब छोड़िये,
रात में नींद आ जाती है आपको?
परेशान तो नही करता है?
बिना नकाब का चेहरा,
जैसे मुझे करता है सुबह तक।

काँप जाते होगे न?
जब वो चेहरे पे चढ़ता होगा,
आपका खुदके लिए बना नकाब।
साहिब! अब बस करिये,
उधेड़ लीजिये ये नकाब,
इन्हें देह बनते देर नही लगती।

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